ललितपुर कृषि उत्पादन मंडी समिति की बदहाली किसानों की सुविधाएं ठप, अवैध कब्जे का बोलबाला

ललितपुर। उत्तर प्रदेश के जनपद ललितपुर में स्थित कृषि उत्पादन मंडी समिति की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। किसानों की सुविधा के लिए बनाए गए गेंहू सेंटर, प्याऊ, सार्वजनिक शौचालय और नीलामी चबूतरे या तो बंद पड़े हैं या फिर अवैध कब्जे की भेंट चढ़ गए हैं। मंडी, जो कभी किसानों के लिए समृद्धि का केंद्र हुआ करती थी, आज उपेक्षा और कुप्रबंधन का शिकार हो चुकी है।
उमा भारती का प्याऊ बदहाल
वर्ष 2015 में तत्कालीन सांसद और केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने मंडी में किसानों और व्यापारियों की सुविधा के लिए एक प्याऊ (पानी की टंकी) का उद्घाटन किया था। यह प्याऊ उस समय मंडी में आने वाले लोगों के लिए राहत का स्रोत था। लेकिन आज यह प्याऊ जर्जर हालत में है। पानी की आपूर्ति बंद है, टोटियां टूटी पड़ी हैं, और आसपास गंदगी का अंबार है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रखरखाव के अभाव में यह प्याऊ अब केवल एक खंडहर बनकर रह गया है।
सार्वजनिक शौचालय बंद, गंदगी का आलम
किसानों और मंडी में आने वाले लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए सार्वजनिक शौचालय भी बदहाली का शिकार हैं। ये शौचालय न केवल बंद पड़े हैं, बल्कि उनकी स्थिति इतनी खराब है कि इनका उपयोग असंभव है। शौचालयों के आसपास गंदगी और बदबू का माहौल है, जिससे मंडी में आने वाले लोगों, विशेषकर महिलाओं, को भारी असुविधा हो रही है। मंडी के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, शौचालयों की सफाई और रखरखाव के लिए कोई फंड या कर्मचारी नियुक्त नहीं है। यह स्थिति वर्षों से बनी हुई है।
नीलामी चबूतरों पर अवैध कब्जा
मंडी में किसानों की फसलों की नीलामी के लिए बनाए गए चबूतरों पर व्यापारियों ने अवैध कब्जा कर लिया है। ये चबूतरे, जो किसानों की उपज की निष्पक्ष बोली के लिए बनाए गए थे, अब व्यापारियों के गोदाम और दुकानों में तब्दील हो चुके हैं। स्थानीय किसानों का आरोप है कि मंडी प्रशासन की मिलीभगत के कारण ये अवैध कब्जे हो रहे हैं। एक किसान नेता ने कहा कि नीलामी चबूतरे किसानों के हक हैं, लेकिन व्यापारी इन्हें अपनी जागीर समझकर कब्जा किए हुए हैं। मंडी प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं करता।
मंडी प्रशासन पर सवाल
कृषि उत्पादन मंडी समिति की इस बदहाली के लिए स्थानीय किसान और व्यापारी मंडी प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि मंडी में कोई नियमित निरीक्षण या रखरखाव नहीं होता। मंडी समिति के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप भी लग रहे हैं। किसानों ने जिला प्रशासन से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
जिला प्रशासन का रवैया
जब इस मामले पर जिला प्रशासन से संपर्क किया जाता है, तब हमेशा के अपने चिरपरिचित अंदाज में अधिकारी त्वरित कार्रवाई का आश्वासन देते हुए कहते है कि जानकारी मिली है। हम जल्द ही एक जांच कमेटी गठित करेंगे और अवैध कब्जों को हटाने के साथ-साथ सुविधाओं को बहाल करने के लिए कदम उठाएंगे।
किसानों की मांग
किसानों ने मंडी की बदहाली को दूर करने के लिए निम्नलिखित मांगें रखी हैं, जिनमें प्रत्येक गेंहू सेंटर को तत्काल चालू किया जाए। प्याऊ और सार्वजनिक शौचालयों का जीर्णोद्धार और नियमित रखरखाव सुनिश्चित हो। नीलामी चबूतरों से अवैध कब्जे हटाए जाएं और निष्पक्ष नीलामी की व्यवस्था बहाल हो। मंडी प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
सुविधाएं बहाल करने की उठी मांग
ललितपुर की कृषि उत्पादन मंडी समिति की बदहाली न केवल किसानों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है। मंडी, जो किसानों की आजीविका का आधार है, आज उपेक्षा और कुप्रबंधन का शिकार हो चुकी है। यदि समय रहते इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो किसानों का मंडी प्रशासन और सरकार से भरोसा उठ सकता है। जिला प्रशासन और मंडी समिति को इस मामले में तत्काल कार्रवाई कर किसानों की सुविधाओं को बहाल करना होगा।