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ललितपुर मेडिकल के नहीं सुधर रहे हालात, मरीजों को मिल रही है लंबे इंतजार और भूख-प्यास की सजा

ललितपुर (विशेष संवाददाता)। स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय (मेडीकल कॉलेज) में मरीजों और उनके तीमारदारों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और अव्यवस्था के चलते न तो डॉक्टर समय पर उपलब्ध होते हैं और न ही मरीजों का परचा (ओ.पी.डी.कार्ड) बनने की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल पाती है। इसकी वजह से अस्पताल परिसर में तीमारदारों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं, जिन्हें घंटों इंतजार करने के बाद भी इलाज नसीब नहीं होता।
डॉक्टर्स की गैर-मौजूदगी, मरीजों का रोज बढ़ता दर्द
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जिला चिकित्सालय के अधिकांश डॉक्टर्स समय पर अपनी ड्यूटी पर नहीं बैठते। ओपीडी में मरीजों की संख्या अधिक होने के बावजूद डॉक्टर्स देरी से आते हैं या फिर कई बार बिना सूचना के छुट्टी ले लेते हैं। इससे मरीजों को अनावश्यक रूप से लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई बुजुर्ग और गंभीर रोगी बिना इलाज के ही लौटने को मजबूर हो जाते हैं।
परचा बनवाने में हो रही दिक्कत, तीमारदारों की हालत खराब
मरीजों का परचा बनवाने की प्रक्रिया भी अत्यंत धीमी चल रही है। कर्मचारियों की कमी और काम में लापरवाही के कारण तीमारदारों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। गर्मी और भीड़भाड़ के बीच कई लोगों को भूख-प्यास से जूझना पड़ रहा है। अस्पताल परिसर में न तो पीने के पानी की उचित व्यवस्था है और न ही बैठने की पर्याप्त जगह।
प्रशासन की सुस्त रवैया, जनता में आक्रोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस समस्या के बारे में प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हुआ। जिला अस्पताल की इस लापरवाही से आम जनता में गुस्सा है। कई लोगों ने धमकी दी है कि अगर जल्द ही स्थिति नहीं सुधरी, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
स्वास्थ्य अधिकारियों का बयान
इस मामले पर जब जिला स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि मरीजों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जा रहा है और जल्द ही सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, अब तक के अनुभवों के आधार पर मरीजों को इस बयान पर संदेह है। ललितपुर जिला चिकित्सालय की हालत सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती नजर आ रही है। जरूरत है कि प्रशासन तुरंत कड़े कदम उठाए और मरीजों को समय पर बेहतर इलाज मुहैया कराए, वरना जनता के आक्रोश को रोक पाना मुश्किल होगा।

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