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श्रद्धा उल्लास से मनाया छत्रसाल महाराज का जन्मोत्सव

अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की एक महत्वपूर्ण बैठक कार्यालय पर सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में सर्वप्रथम महाराजा छत्रसाल जूदेव की फोटो के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित किए गए। जिलाध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह परमार ने कहा कि बुन्देलखण्ड केसरी महाराज छत्रसाल जूदेव का जन्म 4 मई 1649 को टीकमगढ़ जिले के कछार कचनाई में बुन्देला राजपूत परिवार के चंपतराय एवम सारन्धा के घर में जन्म हुआ था, जो ओरछा के राजा रुद्रप्रताप सिंह जू देव के वंशज थे। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि उनके बारे में एक दोहा प्रचलित है कि छत्ता तेरे राज में, धक धक धरती होय। जित-जित घोड़ा मुख करे, उत उत फत्ते होय। जिस तरफ छत्रसाल महाराज का घोड़ा निकल जाता था, उस ओर दुश्मन कांपने लगते थे। महिपाल सिंह ने कहा कि महाराज छत्रसाल अद्वित्तीय साहस एवम पराक्रमी थे। जयहिंद सिंह परमार ने कहा कि छत्रसाल महाराज का बुन्देलखण्ड समेत पूरे भारत मे गौरव गाथा फैली हुई है। कार्यक्रम में धर्मेन्द्र सिंह परमार, भूपेंद्र सिंह तोमर, महिपाल सिंह परिहार, धु्रव राजा सिसोदिया, युवराज सिंह सिकरवार, शिवा राजा, डग्गी राजा बुन्देला, बृजेन्द्र सिंह सोलंकी, बीरपाल सिंह बुन्देला, राजाभैया परिहार, शिवपाल सिंह चौहान, अखण्ड प्रताप सिंह, हरेन्द्र प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे। संचालन बॉबी राजा ने किया। अंत में जिला महामंत्री भगवत सिंह बैस तेरा ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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