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जिला बार एसोसिएशन से नए अधिवक्ताओं की सदस्यता शुल्क कम करने की मांग

 

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का दिया हवाला

ललितपुर। जिला न्यायालय परिसर में बुधवार को एक महत्वपूर्ण पहल देखने को मिली जब जिले के नव नामांकित युवा अधिवक्ताओं के समर्थन में अन्य अधिवक्ताओं ने जिला बार एसोसिएशन को एक प्रार्थना पत्र भेजकर सदस्यता शुल्क में राहत देने की मांग की। यह पत्र डाक के माध्यम से अध्यक्ष एवं महामंत्री को प्रेषित किया गया।

मांग का मुख्य आधार

युवा अधिवक्ताओं ने 2500 रुपये की निर्धारित सदस्यता फीस को अत्यधिक, असंगत एवं प्रारंभिक आर्थिक स्थिति के प्रतिकूल बताया है। उन्होंने तर्क दिया कि अधिवक्ता पेशे की शुरुआत में आर्थिक संसाधनों का अभाव रहता है और ऐसी भारी सदस्यता फीस उनके अधिकारों और भविष्य की संभावनाओं के विरुद्ध है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला

पत्र में दो सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है- गौरव कुमार बनाम भारत संघ, जिसमें शीर्ष अदालत ने युवा अधिवक्ताओं को हो रही कठिनाइयों और चुनौतियों को स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हुए बार काउंसिल्स को उन्हें सहूलियत देने का निर्देश दिया। फैजाबाद बार एसोसिएशन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य बार काउंसिल (2023) इस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि बिना सामान्य सभा की सहमति के कोई बार संगठन शुल्क नहीं बढ़ा सकता। ऐसे निर्णय लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध हैं।

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि पंजीकरण की प्रक्रिया में हो रही देरी उनके व्यावसायिक अनुभव को प्रभावित कर रही है, जिससे वे आने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं, जैसे कि न्यायिक सेवाओं के लिए, आवश्यक अनुभव अवधि पूरी नहीं कर पाएंगे। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि यदि इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर निर्णय नहीं लिया गया, तो वे उत्तर प्रदेश बार काउंसिल तथा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष विधिक प्रक्रिया के तहत औपचारिक शिकायत प्रस्तुत करने को बाध्य होंगे।

प्रमुख मांगें

नए अधिवक्ताओं के लिए सदस्यता शुल्क में रियायत दी जाए, शुल्क निर्धारण में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के माडल बायलॉज के अनुसार सामान्य सभा की सहमति ली जाए। पंजीकरण प्रक्रिया सप्ताह भर में पूरी की जाए। एल्डर्स कमेटी व बार काउंसिल के दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्णय लेकर अधिसूचना जारी की जाए।

प्रेषक अधिवक्ताओं में सम्मिलित प्रमुख नाम

हरदयाल सिंह लोधी, पुष्पेन्द्र सिंह चौहान, शशिकांत राजपूत, नंदकिशोर कुशवाहा, भगवत प्रसाद पाठक, रोहित कुशवाहा, रविन्द्र घोष, अंकित जैन, बृजेन्द्र सिंह चौहान, कमलेश लोधी, प्रताप सिंह यादव, हरनाम सिंह कुशवाहा, प्रमोद श्रीवास्तव, असरफ खान, मुकेश लोधी, रामनरेश दुबे, राघवेंद्र शर्मा, जयराम सिंह, अवतार सिंह लोधी, राजेश पाठक, अनुराग लोधी, रामलखन यादव, हेमंत चौबे, सुरेंद्र लोधी, जितेन्द्र सिंह यादव, हरप्रसाद चौरसिया आदि कई अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर हैं।

संभावित हलचल

इस मांग पत्र के बाद जिला बार एसोसिएशन की आगामी बैठक में यह मुद्दा चर्चा का केन्द्र बन सकता है। अधिवक्ताओं की यह सामूहिक आवाज़ बार प्रशासन को सोचने पर मजबूर कर सकती है कि कैसे शुल्क एवं पंजीकरण प्रक्रिया को न्यायसंगत एवं समावेशी बनाया जाए।

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