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तालबेहट क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में मच्छरों का आतंक, गंदगी से फैल रही बीमारियाँ

 

 

खांदी ग्राम पंचायत में जगह – जगह लगे गंदगी के ढेर, फैल रही बीमारियां

 

तालबेहट, ललितपुर: तालबेहट तहसील के ग्रामीण क्षेत्र खांदी,थाना गांव,बिजरौठा, कडेसरा कला गांव मे इस समय मच्छरों का प्रकोप चरम पर है, जिसके कारण डेंगू, मलेरिया और जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। गाँव में जगह-जगह पर गंदगी और जल जमाव के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। कई ग्रामीण इन बीमारियों की चपेट में आकर बीमार हो चुके हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है।

गाँव में गंदगी और जल जमाव

ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब है। नालियाँ चोक हैं और उनमें पानी जमा होने से मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बन गया है। इसके अलावा, घरों के आस-पास भी कूड़ा-करकट और पानी जमा रहता है, जिससे बीमारियों के फैलने का खतरा लगातार बढ़ रहा है।

 

खांदी ग्राम पंचायत में प्रधान और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण जगह – जगह लगे गंदगी के ढेर, फ़ैल रही बीमारियां

 

स्थानीय निवासियों ने बताया कि इस संबंध में कई बार ग्राम पंचायत और संबंधित अधिकारियों को शिकायत की गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उनका कहना है कि अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है।

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही?

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक गाँव में न तो फॉगिंग कराई गई है और न ही लोगों को इन बीमारियों के प्रति जागरूक किया गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण इलाज में दिक्कतें आ रही हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि वे स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार लोगों को साफ-सफाई रखने और मच्छरों से बचाव के उपाय बता रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डेंगू और मलेरिया के लक्षणों वाले मरीजों को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जाँच करानी चाहिए।

 

 

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि वे इस गंभीर समस्या पर ध्यान दें और तुरंत फॉगिंग कराने, नालियों की सफाई करवाने और गाँव में जागरूकता अभियान चलाने की व्यवस्था करें, ताकि लोगों को बीमारियों से बचाया जा सके।

यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेता है और कब तक ग्रामीणों को इस संकट से मुक्ति मिलती है। या सिर्फ कागजों तक ही जागरूकता अभियान और साफ सफाई सीमित रहेगी।

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