डॉक्टर्स हड़ताल पर कोरिया सरकार सख्त, एसोसिएशन के दफ्तर पर छापा
साउथ कोरिया में 20 फरवरी से जारी जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल पर सरकार ने सख्त रवैया अपना लिया है। शुक्रवार तड़के पुलिस की स्पेशल टीम ने कोरियन मेडिकल एसोसिएशन के दफ्तर पर छापा मारा और यहां से कुछ डॉक्यूमेंट्स बरामद किए।
करीब 10 हजार जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं और यह साउथ कोरिया के कुल मेडिकल ऑफिसर्स का 80% हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर ये डॉक्टर जल्द ड्यूटी पर नहीं लौटे तो इनके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जाएगा।
सरकार की धमकी अब तक बेअसर
सरकार ने गुरुवार को डॉक्टर्स एसोसिएशन के नाम से एक लीगल नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि अगर ये डॉक्टर्स जल्द काम पर नहीं लौटते हैं तो इसके गंभीर नतीजे होंगे। उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे और अगर जरूरी हुआ तो गिरफ्तारी भी की जाएगी। इसके बावजूद इन डॉक्टर्स ने झुकने से इंकार कर दिया।
लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 हजार में से अब तक सिर्फ 565 डॉक्टर्स ड्यूटी पर लौटे हैं। सरकार ने इमरजेंसी के लिए आर्मी मेडिकल टीम को काम पर लगाया है। देश के 15 अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी सर्जरीज की जा रही हैं।
नए डॉक्टर्स की भर्ती का विरोध
हड़ताल पर जाने डॉक्टर्स सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसमें नए मेडिकल कॉलेजेस के जरिए डॉक्टर्स की भर्ती की जानी है। हड़ताल करने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि इससे कॉम्पिटिशन बढ़ेगा और उनकी सैलरी भी कम हो जाएगी।
साउथ कोरिया जैसे डेवलप्ड देश में मेडिकल फेसेलिटीज का हाल बुरा है। यहां एक हजार लोगों पर सिर्फ 2.5 डॉक्टर्स हैं। हेल्थ इंडेक्स के लिहाज से देखें तो मेडिकल फेसेलिटीज के लिहाज से साउथ कोरिया मैक्सिको के बाद दूसरे नंबर पर है।
‘BBC’ की रिपोर्ट के मुताबिक- हड़ताल का सबसे ज्यादा असर मेजर सर्जरीज पर हुआ है। पहले ही दिन सरकार के ऊपर सवालिया निशान लगने लगे और मरीजों के घरवाले हड़ताल का विरोध करने लगे।
डॉक्टर्स यूनियन ने कहा- सरकार नए मेडिकल कॉलेजेस खोलकर कॉम्पिटिशन बढ़ाना चाहती है। इससे हमारी सैलरी कम हो जाएंगी। हम ये कभी नहीं होने देंगे। दूसरी तरफ, सरकार ने डॉक्टरों की मांग को बेतुका बताते हुए कहा कि लोगों को ज्यादा डॉक्टर और बेहतर मेडिकल फेसेलिटी हर कीमत पर दी जाएंगी। अगर डॉक्टर हड़ताल वापस लेकर काम पर लौटते हैं तो ठीक रहेगा। ऐसा नहीं होने पर एक्शन लिया जाएगा।
प्राईवेट हॉस्पिटल्स के भरोसे साउथ कोरिया
साउथ कोरिया में मेडिकल लॉबी बहुत दमदार मानी जाती है। यहां हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए अस्पताल मोटी कमाई करते हैं। इस देश का हेल्थ सिस्टम 90% तक प्राईवेट हॉस्पिटल्स के भरोसे चलता है। यही वजह है कि डॉक्टर्स भी काफी पैसा कमाते हैं।
सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वॉन सून मैन ने कहा- जितने ज्यादा डॉक्टर्स बढ़ेंगे, उतना ज्यादा कॉम्पिटिशन बढ़ेगा और इसकी वजह से हमारी इनकम कम होती जाएगी। लिहाजा, हम नहीं चाहते कि सरकार ज्यादा मेडिकल कॉलेज खोलकर नए डॉक्टर्स तैयार करे।
साउथ कोरिया के शहरों में तो हालात फिर भी ठीक हैं, लेकिन दूर-दराज के इलाकों में हालात बहुत खराब हैं। सरकार ने स्टाफ बढ़ाने का फैसला इसी तरह के क्षेत्रों को ध्यान में रखकर किया है। स्किन और प्लास्टिक सर्जरी के डॉक्टर्स तो बेहद गिनेचुने हैं।
दबाव में नहीं आएगी सरकार
जूनियर डॉक्टर्स भी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक करीब 6500 इंटर्न्स और रेसिडेंट डॉक्टर्स ने पिछले हफ्ते इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 1600 सीनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए।
हड़ताल पर सरकार का रुख भी सख्त है। प्रेसिडेंट यून सुक योल ने कहा- डॉक्टर्स लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं और हेल्थ सिस्टम को बंधक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हम उन्हें बता देना चाहते हैं कि ये सब सहन नहीं किया जाएगा। हम लीगल एक्सपर्ट्स से बात रहे हैं और जल्द ही इस बारे में एक्शन लिया जाएगा। उनकी कोई भी बात मानने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
दूसरी तरफ, हेल्थ मिनिस्टर पार्क येन ने कहा- डॉक्टर्स के पास अब भी वक्त है कि वो काम पर लौट आएं। ये सीधे तौर पर लोगों की जिंदगी से जुड़ा मामला है। अगर वो सोच रहे हैं कि सरकार को दबाव में ला सकेंगे तो उनकी गलतफहमी जल्द दूर हो जाएगी।