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श्रद्धा भावना से मनाया गया श्रीगुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश पर्व

 

ललितपुर। श्रीगुरुसिंह सभा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्वाधान में श्रीगुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश पर्व श्रद्धा भावना के साथ मनाया गया। सुबह से श्रीसहज साप्ताहिक पाठ साहिबजी का समापन व लंगर की सेवा स्व.स.अवतार सिंह के परिवार व निशान साहब के चोले की सेवा सरदार सुरेंद्र सिंह अरोड़ा परिवार द्वारा हुई। मुख्य ग्रंथी ज्ञानी दलजीत सिंह ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाशन वर्ष 1604 में दरबार साहिब में सिखों के पांचवें गुरुश्री अर्जुन देवजी ने पहली बार गुरु ग्रंथ साहिब को प्रकाशित किया था। तब से हर साल श्रीगुरु ग्रंथ साहिबजी का प्रकाश गुरुपर्व पूरी धार्मिक श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है। इसे आदि ग्रंथ के नाम से जाना जाता है। गुरु ग्रन्थ साहिबजी का पहला प्रकाश अगस्त 1604 को हरिमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ। 1705 में दमदमा साहिब में दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंहजी ने गुरु तेगबहादुरजी के 116 शब्द जोड़कर इसको पूर्ण किया। इनमें कुल 1430 पृष्ठ है। गुरु ग्रंथ साहिबजी का प्रकाश पर्व सिख धर्म का सबसे प्रमुख पर्व है। यह पर्व हमें सिखाता है कि ज्ञान का प्रकाश ही जीवन का सच्चा मार्गदर्शन है। जैसे सूर्य अंधकार मिटाता है, वैसे ही गुरु ग्रंथ साहिब का उपदेश अज्ञान और दु:ख को दूर करता है। इस दौरान सभा अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह, परशन सिंह, अवतार सिंह, सतनाम सिंह, चमेल सिंह, गुरदेव सिंह, दलजीत सिंह, राजू सिंधी, कन्हैयालाल चंदानी, डा.जे.एस.बख्शी, हरजीत सिंह, गुनबीर, सिंह, बलजीत सिंह सलूजा, डा.सौरभ देवलीया, शुभम देवलिया, अरविंदर सिंह, मनजीत सिंह परमार, मुकेश सूरी, ऋषि मोहन दुबे, विनय सिन्हा, स्वप्निल बरिया, हरिनारायण चौबे, विकास सिंघई आदि उपस्थित थे। संचालन महामंत्री सुरजीत सिंह सलूजा ने किया।

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