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ईद मिलादुन्नवी पर सजाया शहर, शान-ओ-शौकत से निकलेगा जुलुस-ए-मुहम्मदी

 

 

ललितपुर। मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े त्यौहार ईद मिलादुन्नवी के मौके पर शहर के साथ -साथ मस्जिद और मजारों को सजा लिया गया है। पांच सितंबर को जुलुस-ए-मुहम्मदी को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों में अच्छा खासा उत्साह है। जुलुस ए मुहम्मदी दोपहर दो बजे गोविंदनगर से आजाद चौक होते हुए नदीपुरा इमाम चौक पहुंचेगा, वही अजीतापुरा से भी जुलुस इमाम चौक पहुंचेगा। इसके बाद इमाम चौक से मऊठाना, रावरपुरा, पानी की टंकी से सीधे सदनशाह पहुंचेगा। सदनशाह पर करीम नगर, नेहरूनगर का जुलुस पहुंचेगा, सदनशाह दरगाह परिसर में उर्स कमेटी व मस्जिद कमेटी द्वारा जुलुस ए मुहम्मदी का स्वागत किया जाएगा। पुलिस अधीक्षक के बंगले वाले रोड़ से घुसयाना, कस्साब मंडी, सदरकांटा, घंटाघर, साबरकर चौक, सरायपुरा, लक्ष्मीपुरा, आजाद चौक होते हुए वापिस नदीपुरा इमाम चौक पहुंचकर सम्पन्न होगा।

बुजुर्गों और नौजवानों द्वारा मुहल्लों में सुबह की जाएगी गस्ती

रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन गोबिंदगर, नदीपुरा, अजीतपुरा, सदनशाह मुहल्ले में सुबह गस्ती कर शांति, भाईचारे, प्रेम का पैगाम दिया जाएगा।

ईदों की ईद है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी

पैगंबर हजरत मुहम्मब स.अलैह वस. को इस्लाम धर्म का मार्गदर्शक माना जाता है। यही कारण है उनके यौम ए पैदाइश का दिन मुसलमानों के लिए खास होता है। इस दिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी कहा जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का त्योहार तीसरे महीने में रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है। इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों के लिए यह दिन बहुत ही खास है। क्योंकि यह दिन अल्लाह के दूत कहे जाने वाले पैगंबर हजरत मुहम्मद स. अलैह वस. से जुड़ा हुआ है।

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का महत्व

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मुसलमानों और इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए बेहद खास दिन है। इस दिन को लोग खुशियों के साथ किसी उत्सव या जश्न की तरह मनाते हैं। कहा जाता है कि, इस्लामी दुनिया के निर्माण और मार्गदर्शन में पैगंबर हजरत मुहम्मद स. अलैह वस. का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इसी मुबारक दिन में अल्लाह ने पैगम्बर हजरत मुहमम्द स. अलैह. वस. को दुनियां में इंसानियत का महत्व बताने के लिए भेजा।

कब और कहां हुआ था पैगंबर हजरत मुहम्मद स. अलैह. वस. का जन्म

हजरत मुहम्मद स. अलैह. वसल्लम का जन्म या यौम ए पैदाइश सऊदी अरब के मक्का शहर में 571 ईसवी को हुआ था। यह दिन इस्लामी कैलेंडर के अनुसार तीसरे महीने के रबी उल अव्वल का 12 वां दिन था। इस दिन को खुशियों की तरह मनाते हैं, इसलिए इस पर्व को ईदों की ईद कहा जाता है।

ईद मिलादुन्नबी के जुलूस में अब नहीं बजेंगे डीजे : शहर पेश इमाम

उलेमाओं की पहल पर जुलूस में पेश की जाएंगी नात ए पाक

ललितपुर शहर के उलेमाओं की पहल के बाद जुलूस में डीजे नहीं बजेंगे शहर पेश इमाम हाफिज मुबीन खान स्पष्ट कहा कि जुलूस में जो भी व्यक्ति डीजे लेकर आएगा उसकी स्वयं की जिम्मेदारी होगी आयोजक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि जुलूस में डीजे पर रोक लगाते हुए ललितपुर में पहली बार जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मुबारक मौके पर जुलूसे ए मोहम्मदी में देश के जाने-माने मुल्के हिंदुस्तान सना ख्वाने मुस्तफा गुलाम साबिर रजा इलाहाबाद, सैयद ताहिर नक्शबंदी, शहजान कानपुर जुलूस में नात ए पाक पेश करते हुए चलेंगे। निजामत हाफिज कारी आदिल जमील करेंगे।

कैसे मनाते हैं ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का पर्व

हजरत बाबा सदनशाह मस्जिद पेश इमाम मुफ्ती नौशाद जमाली ने बताया कि इस दिन लोग घर और मस्जिदों को सजाते हैं। तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। घर और मस्जिदों में इस दिन रोनक देखने को मिलती है। लोग पैगंबर हजरत मुहम्मद स.अलैह.वस. के बताए शांति, भाईचारे, प्रेम, अल्लाह की इबादत और सच्चाई के रास्ते चलने की सीख को याद करते हैं। पवित्र ग्रंथ कुरान की तिलावत की जाती है और लोग एक दूसरे के गले लगकर ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की मुबारकबाद देते हैं। इस मुबारक दिन जुलूस ए मुहम्मदी निकाला जाता है। गरीब और जरूरमंदों की मदद की जाती है।

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