कर्ण ने भी किया पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को तर्पण व श्राद, जानिए पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष में पितरो को याद कर किया जाता है तर्पण पिंडदान।
21 सितम्बर को मनाया जाएगा पितृ विसर्जन एवं अमावस्या का श्राद्ध
एंकर-ललितपुर पितृ पक्ष प्रारंभ हो गए हैं। सुबह से ही नदी, तालाब एवं बांध पर लोग पहुंचने लगे है। इस दौरान उन्होंने अपने पूर्वजों को अन्न-जल देकर तर्पण कर याद किया।
पंद्रह दिन तक चलने वाले पितृ पक्ष में पूर्वजों को याद करने का समय मिलता है। इस दौरान सुबह से लोग स्नान कर अपने पूर्वजों को अन्न-जल देते हैं। पूर्वजों के नाम का अन्न गाय, श्वान व कौआ को खिलाया जाता है। ललितपुर में सुम्मेरा तालाब, गोविंद सागर बांध एवं शहजाद नदी में लोगों ने स्नान किया और भगवान सूर्य के लिए अर्घ्य दिया। इस दौरान जगदीश पाठक शास्त्री ने पूजन भी कराया व इसके महत्व के वारे में बताते हुए कहा कि महाभारत के दौरान, कर्ण की मृत्यु हो जाने के बाद जब उनकी आत्मा स्वर्ग में पहुंची तो उन्हें बहुत सारा सोना और गहने दिए गए। कर्ण की आत्मा को कुछ समझ नहीं आया, वह तो आहार तलाश रहे थे।
उन्होंने देवता इंद्र से पूछा कि उन्हें भोजन की जगह सोना क्यों दिया गया। तब देवता इंद्र ने कर्ण को बताया कि उसने अपने जीवित रहते हुए पूरा जीवन सोना दान किया लेकिन अपने पूर्वजों को कभी भी खाना दान नहीं किया।
तब कर्ण ने इंद्र से कहा उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनके पूर्वज कौन थे और इसी वजह से वह कभी उन्हें कुछ दान नहीं कर सकें।
इस सबके बाद कर्ण को उनकी गलती सुधारने का मौका दिया गया और 16 दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा गया, जहां उन्होंने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें आहार दान किया। तर्पण किया, इन्हीं 16 दिन की अवधि को पितृ पक्ष कहा गया।
इस बार पितृ पक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक मनाया जाएगा। 21 सितंबर को पितृ विसर्जन एवं अमावस्या का श्राद्ध किया जाएगा।