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भारत के मिडिल क्लास के सपनों को पहिए देने वाली मारुति की कहानी

14 दिसंबर, 1983 को गुड़गांव की फ़ैक्ट्री के गेट से गेंदे के फूलों से सजी हुई एक छोटी-सी सफ़ेद कार बाहर निकली. भारत में बनी इस कार को चला रहे थे इंडियन एयरलाइंस में काम करने वाले हरपाल सिंह जो इसे अपने ग्रीन पार्क स्थित घर ले जा रहे थे.

इस कार की चाबियां हरपाल सिंह को सौंपने के बाद भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक भावुक भाषण दिया था, “आप लोगों को शायद इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं है कि इस कार के चलते हमें किस हद तक तिरस्कार और तोहमतों का सामना करना पड़ा है.”

जब इंदिरा गांधी बता रही थीं कि किस तरह उनके छोटे बेटे संजय भारत की पहली छोटी कार विकसित करने के प्रयास में गर्म और धूल भरे वर्कशॉप में घंटों बिताया करते थे, तो उनकी आँखें भरी हुई थीं. बीच-बीच में उनका गला रुंध आता था और वह पानी का एक घूंट पीकर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करने की कोशिश करती थीं.

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