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सत्संग से दूर हो जाता अभिमान: धनवंतरी दास श्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा, उमड़ रहे श्रद्धालु

ललितपुर। सिद्धपीठ श्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर के नवनिर्मित बालकृष्ण सत्संग भवन में साप्ताहिक श्री मद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलाचरण की कथा सुनाई गई। उन्होंने कहा कि भगवान को अभिमान पसंद नहीं हैं। जब-जब लोगों को अभिमान हुआ, तब-तब भगवान ने उनका अभिमान भंग किया।


व्यासपीठ पर विराजमान धनवंतरी दास महाराज ने कहा कि तपस्या से अधिक सत्संग का महत्व है। दस हजार वर्षों की तपस्या से अधिक दो घड़ी के सत्संग का महत्व है। तपस्या से अभिमान उत्पन्न हो जाता है और सत्संग से अभिमान दूर हो जाता है। ऐसा सत्संग संतों की कृपा से ही प्राप्त होता है। श्रीमद्भागवत के मंगलाचरण में किसी देवी देवता का नाम नहीं लिया गया। श्रीमद्भागवत का शुभारंभ ब्रह्म सूत्र से हो रहा है। मानो श्रीमद्भागवत और कुछ है ही नहीं, इसमें अक्षर अक्षर भगवान श्रीकृष्ण समाहित हैं। जिन भगवान ने इस श्रृष्टि को जन्म दिया, जो एक मात्र इसे बनाने वाले, पालने वाले और संहार करने वाले हैं, वह इसी जगत में ही समाए हैं, विराट में हैं। भगवान को सभी जगह देखना यह बहुत बड़ी अवस्था है। यह कहना बहुत सरल है, इस बात को कृताज्ञ करना और अपने ह्दय में उतारना बहुत बड़ी बात है। भगवान हमें तब दिखेंगे, जब हम इसी जगत में विराजमान ठाकुरजी को मंदिर में मूर्ति न मानकर जीवित भाव में देखेंगे, तभी हमें भगवान दिखेंगे।

मंदिर में बैठे भगवान में प्रत्यक्ष अनुभूति करेंगे तो हमारे मन से भगवान के दर्शन होंगे। जब हम संतों, वैष्णव और जगत के सभी जीवों में भगवान के दर्शन करें, तब इस जगत में जगदीश के दर्शन कर सकेंगे। ऐसा नहीं है कि किसी ने भगवान का दर्शन नहीं किया हो। महाराष्ट्र में प्रकट हुए नामदेव महाराज ऐसे भगत हुए, जिन्होंने भगवान के नाम को भगवान मान लिया। भगवान कण कण में हैं, यह कहने की नहीं है बल्कि स्वीकार करने की है। भगवान हमें दिखते नहीं हैं क्योंकि हम जन्म लेते ही माया में जकड़ जाते हैं। इस माया से बचने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है, जो हमें संतों के सत्संग से प्राप्त होता है। कथा के प्रारंभ पर श्री लक्ष्मी नृसिंह महाराज के सम्मुख पोथी पूजन किया गया। मुख्य यजमान सुमन संजय डयोडिया ने व्यासपीठ पर आसीन पोथी का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजन किया गया एवं कथा उपरांत आरती की। इस दौरान महंत गंगादास महाराज, महंत राधेश्याम दास महाराज, संजय डयोडिया, भगवत नारायण वाजपेई, रमेश रावत, विलास पटैरिया, हरीबाबू शर्मा, राजेंद्र वाजपेई, नरेश शेखावत, विवेक सड़ैया, महेश श्रीवास्तव, मयंक वैद्य, प्रशांत शुक्ला, संजू श्रोती आदि ने श्रीमद्भागवत की मंगल आरती उतारी। इस मौके पर प्रदीप रिछारिया, राहुल चौबे, हरेंद्र सिंह बुंदेला, सचिन शर्मा, कल्लू तिवारी, पार्थ चौबे, आशीष तिवारी, वैभव गुप्ता, उमेश सुड़ेले, सक्षम अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

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