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बाँसी में निकली विमानों की भव्य शोभायात्रा भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलविहार का पर्व

ललितपुर जनपद के बाँसी कस्बे में परंपरागत रुप से मनाया गया। जल-झुलनी एकादशी के इस त्यौहार को कस्बे के सभी मंदिरों से देव-प्रतिमाओं को सुंदर तथा सुसज्जित विमानों में विराजमान कर कस्वा से होते हुऐ मंजगलियो से निकल कर मंतालाब तालाब में जलविहार कराया गया। इस दौरान बलदाऊ गंज मे विमानो को इकट्ठा कर विराजमान किए जाते हैं परंपरागत बलदाऊगंज में विमानो को ठहर कर मोहल्ले के सभी लोग फूलमालाओ से प्रसाद की थाली सजाकर सभी विमान की एक-एक कर पूजा पाठ करते हैं बलदाऊगंज से विमान उठकर माजगलिया से होते हुए भगवान का सभी जगह घर-घर पूजा पाठ होती है अपने दरवाजे खड़े होकर भगवान का इंतजार करते हैं बड़े हर्ष और उल्लास के साथ भगवान का पूजा पाठ कर श्रीजी विमानों की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में भजन-कीर्तन समेत समस्त नगर वासी विमान का आगमन पर ग्रामीणों द्वारा पूरे नगर में उनकी मंगल आरती की गई। इस दौरान तमाम जलविहार किया गया, ग्रामीणजन एवं शांति सुरक्षा व्यवस्था हेतु चौकी प्रभारी कुलदीप राणा मयफोर्स के मौजूद रहे।
डोल-ग्यारस को करवट बदलते हैं देवता
कस्बे के ज्योतिषचार्य पण्डित नीरज गंगले शास्त्री पंडित गोपाल दुबे राम लाला गोस्वामी पंडित मनोज कुमार दुबे पंडित बसंत शुक्ला ने बताया कि डोल-ग्यारस को जल-झूलनी एकादशी के साथ ही परिवर्तनी-एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु देव-शयनी एकादशी को शयन करते हैं जो डोल-ग्यारस को करवट बदलते हैं इसलिये भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को मंदिरों से देव-प्रतिमाओं को विमानों में ले जाकर स्थानीय नदी-तालाब पर आरती-वंदन के साथ उनका जल-विहार कराया जाता है। भगवान जी का रात्रि सेन एवं आरती राम सहाय दादा एवं उनके पुत्र रविंद्र गुप्ता जी के यहां संपन्न हुई

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