रामलीला के मंचन और अधिक संवारने की जरूरत

दो से तीन महीने पहले से प्रारंभ हो कलाकारों का अभ्यास
ललितपुर। शहर की इकलौती रामलीला के मंचन को और अधिक संवारने की आवश्यकता है। कलाकारों का कहना है कि रामलीला का मंचन शुरू होने के करीब दो तीन महीने अभ्यास किया जाना चाहिए, साथ ही नए पात्रों की भर्ती की भी जरूरत महसूस की जा रही है।
रामलीला कलाकार प्रदीप गोस्वामी ने एक मुलाकात में बताया कि अब अंग्रेजी माध्यम शिक्षा का जमाना है, इस कारण ऐसे छात्रों की हिंदी, संस्कृत भाषा में उतनी अच्छी पकड़ नहीं रह पाती है। इस वजह से रामलीला मंचन में ऐसे कलाकारों का प्रदर्शन टिक नहीं पाता है। इसके अलावा युवाओं की टीवी, मोबाइल में व्यस्तता अधिक हो गई है, जिससे पढऩे की रूचि में भी कमी देखी जा रही है। शहर में लगभग सभी जगहों से रामलीला का मंचन समाप्त हो गया है। अब केवल मोहल्ला तालाबपुरा की रामलीला ही रह गई है, इसे ध्यान में रखकर रामलीला को और अधिक बेहतर बनाने की आवश्यकता है। इनमें आकर्षक पर्दे, कलाकारों के आकर्षक परिधान आदि हैं। वर्तमान समय जो चल रहा है, उसे ध्यान में रखकर रामलीला में परिवर्तन की जरूरत है। इन परिवर्तनों से ही घट रही दर्शकों की संख्या को रोका जा सकता है।
अ_ाइस साल से रामलीला में निभा रहे विभिन्न पात्रों की भूमिका
रामलीला कलाकार प्रदीप गोस्वामी बताते हैं कि रामलीला में मंचन करते अ_ाइस से उन्तीस साल हो गए हैं। सबसे पहले भरत जी व सीता जी का किरदार निभाया था। इसके बाद समिति की आवश्यकतानुसार विभिन्न किरदार निभा चुके हैं। इस बार सुग्रीव का पात्र निभाने जा रहे हैं। इन सभी में भरत जी का किरदार सबसे अच्छा लगा। भरत जी क्रोधित होने के बाद भी अपनी माता से मर्यादित संवाद करते हैं।