हवा के झौंके के साथ सडक़ पर उड़ती पावर प्लांट की राख किसानों को भी दुखदायी साबित हो रही पावर प्लांट से निकल रही फ्लाई ऐश

ललितपुर। किसानों के लिए पावर प्लांट से निकल रही फ्लाई ऐश दुखदायी साबित हो रही है, साथ ही राहगीर एवं वाहन चालकों के लिए भी समस्या खड़ी कर रही है। हवा के झौंके के साथ डंफर से ले जाई जा रही पावर प्लांट की राख सडक़ पर उड़ती है, इसके बाद भी फ्लाई ऐश का मनमाने तरीके से निस्तारण किया जा रहा है।
ग्राम चिगलौआ में जब पावर प्लांट की स्थापना हुई तो पूरे जनपद में खुशी की लहर दौड़ गई है लेकिन वर्तमान में यही पावर प्लांट अब स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। इसकी वजह प्लांट से निकलने वाली राख है, जिसे फ्लाई ऐश भी कहा जाता है। वैसे तो इस राख का इस्तेमाल ईओं के निर्माण, सीमेंट उत्पाद, खनिज भराव में किया जाता है पर इसके विपरीत जिले के विभिन्न खाली स्थानोंं, खेतों, कूपों, नदी, तालाब, पोखरों में हो रहा है। इसके बाद भी जिम्मेदार चुप हैं। किसान और पर्यावणविद आए दिन इसकी शिकायत करते हैं, इसके बाद भी दोषियों पर कठोर कार्रवाई नहीं की जाती है, इससे समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा है। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर रोष व्याप्त है। अब तो पावर प्लांट से निकल रही राख का निस्तारण ही समस्या उत्पन्न कर रहा है। विगत दिवस पावर प्लांट के डंफर ने एक बालिका को कुचल डाला और दो अन्य बालिकाएं ग्वालियर में उपचार करा रही हैं।
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पावर प्लांट की फ्लाई ऐश सेहद के लिए नुकसानदायक
पावर प्लांट से निकल रही फ्लाई ऐश सेहद के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है। फ्लाई ऐश के जहरीले कण सेहद को नुकसान पहुंचाते हैं। सबसे ज्यादा नुकसान श्वास रोगियों को होता है। इसके अलावा ह्दय एवं कैंसर रोगियों को भी परेशानी खड़ी कर रहा है।
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फ्लाई ऐश को जिले से बाहर ले जाने की बनाई गई थी योजना
पावर प्लांट ने फ्लाई ऐश को जिले से बाहर ले जाने की मालगाड़ी से परिवहन करने की योजना बनाई थी लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाई। शुरुआती दौर में पावर प्लांट से कई मालगाड़ी फ्लाई ऐश से लदकर गैर जनपद गई लेकिन अब यही राख जगह-जगह फिर से नजर आने लगी है। कई लोग गड्ढों के भराव में इस्तेमाल कर रहे हंैं लेकिन बारिश के दौरान यह ठहर नहीं पा रही है। कई जगहों पर डाली गई राख बारिश के पानी के साथ बह गई। कुछ लोगों ने इसका तोड़ निकाला है। कुछ लोग पावर प्लांट की राख से समतलीकरण का काम कर रहे हैं, उसके ऊपर मिट्टी डाल रहे हैं, जिससे कि राख ठहरी रहे। लेकिन, जो राख जल स्रोतों व खेतों में डाली जा रही है, वह किसानों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है।