बिगारी वन रेंज हादसे के बाद प्रशासन हुआ सचेत
वन और खनन अफसरों की सरपरस्ती में चलता अवैध खनन कारोबार

तालबेहट। लाल मिटटी और बालू का अनैतिक कारोबार बीते कई वर्षो से जिम्मेदारों, जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में जबरदस्त तरीके से फल फूल रहा है। वन विभाग से लेकर गांव सभा की प्राकृतिक जमीनों, नदी, नालों को मशीनों से खोखला कर खनन का काला कारोबार किया जा रहा है। जब अवैध खनन के दौरान हादसा होता है तो जिम्मेदार नींद से जागकर कार्रवाई में जुट जाते है। इसके बाद धीरे धीरे पुन:यह अनैतिक कारोबार शुरू हो जाता है। खनन माफिया पर ठोस कार्रवाई न होने के चलते जहां राजस्व की हानि होती है वहीं प्राकृतिक संपदाओं के नष्ट होने से पर्यावरण असंतुलित होता है।
तालबेहट वन क्षेत्र के चर्चित खनन के गढ सुनौरी, पिपरई, कड़ेसराकलां, हनौता, पवा, गेवरा गुन्देरा और विजयपूरा में वन भूमि से लेकर गांव सभा की जमीनों पर जबरदस्त तरीेके से खनन का उठान होता है। इसी तरह माताटीला वन रेंज के प्यासी, पठापुरा और गौणवरी के बिगारी वन क्षेत्र में जबरदस्त तरीके से कई किलोमीटर का वन क्षेत्र ध्वस्त कर मिटटी का उठान किया जाता है। अवैध खनन के इस काले कारोबार में जहां जिम्मेदारों विभागों के अफसर फीलगुड करते है वहीं इन अवैध खनन कारोबारियों को सत्ताधारी नेताओं का वदहस्त मिल जाता है। कड़ेसराकलां और थानागांव के बीच स्थित वन क्षेत्र में कई किलोमीटर तक खदानें ही खदानें नजर आती है। हादसे के बाद पहुंचे अफसर वन क्षेत्र में हुए अवैध खनन को देख दंग रह गए। इन खनन के कारोबारियों ने वन क्षेत्र से लेकर गांव सभा की जमीनों पर बने नदी, नाले, पोखर से लेकर प्राकृतिक मिटटी के पहाड़ों को भी ध्वस्त कर दिया।
वन क्षेत्राधिकारी ने सिर्फ 24 घन मीटर में बताया अवैध खनन
जिस वन रेंज में अवैध खनन से हादसा हुआ है वहां दूर दूर तक अवैध खनन की खदानें है। इन खदानों से लाल मौरम का उठान होता है। इस हादसे के बाद वन क्षेत्राधिकारी पीडी यादव ने वन क्षेत्र में 24 धनमीटर अवैध खनन बताते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई।