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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिरधा फिर चर्चाओं में, टॉर्च की रोशनी में हो रहा इलाज

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिरधा में अंधेरे में इलाज — सरकारी दावे फेल, अव्यवस्थाओं का अंबार जस का तस

 

बिरधा

सरकार जहाँ एक ओर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हालात सरकार के दावों की पोल खोल रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बिरधा की स्थिति इसका ताजा उदाहरण है। यहाँ डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी मरीजों का इलाज टॉर्च और मोबाइल की रोशनी में करने को मजबूर हैं।

 

*अंधेरे में इलाज और दवा वितरण*

 

सीएचसी बिरधा में बिजली की व्यवस्था लंबे समय से बदहाल है। गुरुवार को ओपीडी के समय बिजली गुल होने पर डॉक्टरों को मरीजों का परीक्षण टॉर्च की रोशनी में करना पड़ा। वहीं दवा कक्ष में फार्मासिस्ट मोबाइल की फ्लैशलाइट के सहारे दवाइयाँ बाँटते दिखे। मरीजों को गर्मी और अंधेरे में घंटों तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा।

 

*निरीक्षण के बाद भी नहीं सुधरे हालात*

 

करीब एक महीने पहले जिला अधिकारी ललितपुर और मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस केंद्र का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान उन्हें कई खामियाँ मिली थीं और सुधार के निर्देश भी दिए गए थे। लेकिन हकीकत यह है कि उन निर्देशों पर कोई अमल नहीं हुआ। आज भी केंद्र में वही अव्यवस्था, गंदगी और बिजली की समस्या बनी हुई है।

 

*मरीज और स्टाफ दोनों परेशान*

 

इलाज के लिए आए मरीजों ने बताया कि यहाँ सुविधाओं का भारी अभाव है। “यहाँ दवा मिल जाए, यह भी भाग्य की बात होती है। बिजली न होने से डॉक्टर ठीक से देख नहीं पाते,” एक ग्रामीण ने नाराज़गी जताई। लेकिन विभाग से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

 

*सरकारी दावों की पोल खुली*

 

प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए लगातार योजनाएँ चला रही है, लेकिन बिरधा सीएचसी जैसे केंद्रों की स्थिति इन दावों को झुठला रही है। करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद मरीजों को प्राथमिक सुविधाएँ तक नहीं मिल पा रही हैं।

 

*स्थानीय लोगों की मांग है कि प्रशासन तत्काल इस मामले में संज्ञान ले और स्वास्थ्य केंद्र की मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करे, ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके।*

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