विकास से कोसो दूर ग्राम पंचायत बगौनी, मूलभूत सुविधाओं का अभाव, संपर्क मार्ग स्वीकृत होने के बाद नहीं हो सका काम
ललितपुर। विकासखण्ड मड़ावरा से 45 किलोमीटर एवं ग्राम पंचायत नाराहट से 15 किलोमीटर दूर बसी ग्राम पंचायत बगौनी आज भी विकास की राह जोह रही है। आजादी के बाद से आज भी यहां की वाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से बंचित है, जिस कारण यह अपने आप को कोसते नजर आते है। भले ही ग्रामीण विकास चाहते है, लेकिन जनप्रतिनिधि इसके लिए गैर जिम्मेदार बने हुए है। सबसे बड़ी बिडम्बना यह है कि झरावटा से लेकर बगौनी तक संपर्क मार्ग के लिए मुख्यमंत्री द्वारा आदेश जारी किया गया। सांसद झांसी ललितपुर द्वारा सडक़ निर्माण के लिए प्रस्ताव स्वीकृत करा दिया, लेकिन ठेकेदार द्वारा आज तक काम नहीं कराया गया है। ग्राम पंचायत विकास के प्रति लापरवाह बना हुआ है। इस ग्राम पंचायत में सीसी रोड़ ग्रामीण आवास, शौचालय, विद्युत, का अभाव बना हुआ है। स्वास्थ्य केन्द्र को जाने वाला मार्ग अपने आप पर आंसू बहा रहा है। वर्षों से पाइप लाइन खराब पड़ी हुई है। कुल मिलाकर यह गांव विकास से कोसो दूर है।
ग्रामीणों ने बताया कि बगौनी से झरावटा तक की दूरी 5 किलोमीटर है, ग्रामीणों को पहुंचने में एक घंटे का समय लगता है। ग्रामीणों के बीमार होने पर समय से न पहुंचने पर अनहोनी हो जाती है। सबसे बड़ी समस्या तो गर्भवती महिलाओं को ले जाने में होती है। इस मार्ग पर विभाग द्वारा काली मिट्टी डलवाई गई है, जो बरसात में पानी बहने के कारण पूरे में कीचड़ हो गया है, जिस कारण राहगीर एवं वाहन चालक फिसलकर चोटिल हो रहे है। इस मार्ग पर रोज दुर्घटनाएं घटित हो रही है। ग्रामीणों द्वारा सडक़ निर्माण एवं मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वर्षों से मांग की जा रही है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। गांव के पूर्व प्रधान सत्यनारायण पाण्डेय, दिनेश पाण्डेय, नौनेराजा, आनंद पाण्डेय, रोहित, तुलसी, आशाराम, ग्यासी, प्यारेलाल, करन, कोमल, शैलेन्द्र पाण्डेय आदि ने बताया कि यदि तत्काल समस्याओं का निराकरण नहीं होता है तो समस्त ग्रामीण लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री कार्यालय पर आमरण अनशन करने को मजबूर होगे। पूर्व प्रधान सत्यनारायण पाण्डेय ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा संपर्क मार्ग स्वीकृत किया गया था, सांसद झांसी ललितपुर अनुराग शर्मा द्वारा शिलान्यास भी किया गया था, इसके बाद भी आज तक संपर्क मार्ग का काम शुरू नहीं हो सका है। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में आवास एवं शौचालय के नाम पर प्रधान एवं सचिव द्वारा लूट की जा रही है। लाभार्थियों से खुलेआम सुविधा शुल्क लिया जा रहा है। सुविधा शुल्क न देने पर काम शुरू नहीं कराया जाता है।