सात में तीन प्रत्याशियों ने नामाकंन पत्र लिये वापस, दो निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी समर में डटे

नगर पालिका परिषद के उप चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए शुक्रवार को नाम वापिसी की प्रक्रिया अपनाई गयी। इस प्रक्रिया में निर्धारित समय अनुसार सात में से तीन प्रत्याशियों ने अपने-अपने नामाकंन पत्र वापस ले लिये। हालांकि शहर में इस बात की चर्चा अधिक तो नहीं है, लेकिन इतनी चर्चा अवश्य है कि गठबंधन ने रूठे कार्यकर्ताओं को मना लिया, तो वहीं दूसरी ओर सत्तादल ने जातिगत समीकरण साधने में सफलता हांसिल की है। अब चुनावी मैदान में भाजपा, सपा-कांग्रेस गठबंधन समेत दो निर्दलीय प्रत्याशी और भी मैदान में हैं। सत्तादल की ओर से पूर्व नपाध्यक्ष श्रीमती सरला जैन जिनके निधनोपरान्त यह उप चुनाव सम्पन्न हो रहे हैं की पुत्रवधू सोनाली जैन को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया। वहीं मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी व कांग्रेस की गठबंधन प्रत्याशी के रूप में नीलम चौबे को अधिकृत उम्मीदवार बनाया गया। इसके अलावा सपा के वरिष्ठ नेता रामदास श्रोती ने अपनी पत्नी अनुपमा श्रोती को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामाकंन जमा करा दिया। वहीं कांग्रेस से निष्कासित रहते हुये हरीबाबू शर्मा ने भी अपनी पत्नी श्रीमती अरूणा शर्मा को नामाकंन दाखिल कराया। इसके अलावा आम आदमी पार्टी से बागी होकर आप नगराध्यक्ष मीना राजा के अलावा नदीपुरा निवासी नाजरीन पत्नी रऊफ मंसूरी व जैन समाज से ही आने वाली आजादपुरा निवासी सूबी ने भी अपना नामाकंन पत्र जमा कर दिया। अगले दिन हुयी नामाकंन पत्रों की जांच में जमा किये गये सभी नामाकंन पत्र सही पाये गये थे। नामाकंन पत्र भरे जाने से वापस लेने की तारीखों के बीच निर्दलीय प्रत्याशियों को अपने-अपने पक्ष में नामाकंन वापस लेने के लिए काफी असमंजस्य की स्थिति बनी रही। हालांकि नामाकंन वापस लेने की बात पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीबाबू शर्मा की पत्नी अरूणा शर्मा, वरिष्ठ सपा नेता रामदास श्रोती की पत्नी श्रीमती अनुपमा श्रोती और जैन समाज से आने वाली श्रीमती सूबी जैन मान गये और नामाकंन पत्र वापिसी की आखिरी तारीख 3 अक्टूबर 2025 को तीनों प्रत्याशियों ने अपने-अपने नामाकंन पत्र वापस ले लिये। इसके बाद अब नगर पालिका के अध्यक्ष पद को लेकर उप चुनाव के समर में बीजेपी से सोनाली जैन, सपा-कांग्रेस गठबंधन से नीलम चौबे के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नाजरीन व मीना राजा मैदान में हैं। अब देखना होगा कि चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है।