कजली पर्व पर निकली कजलियां

बॉंसी। कस्बा बांसी में रही कजली महोत्सव बडी धूम धाम से मनाया गया कजली महोत्सव में राई नृत्य एवं शेरों जैसे कर्यक्राम की रही धूम पुराने बार रोड से कस्बे मे होते हुये नवलसा गोड बाबा के दरबार मे नाचते गाते पहुचे ग्राम वासी अगाध श्रृद्धा के साथ मनाया गया कजली महोतसव
महिलाएं तथा बालिकाएं सिर पर कजली (भुजरियां) रखे हुए चल रही थी,
भुजरियां नबलसा बाबा को समर्पित,
ढोलक , नगड़िया की थाप पर लोगों ने घेराबना कर किया लोक नृत्य,
लोक संस्कृति पर्व कजली महोत्सव पर विविध पौराणिक कहानियां प्रचलित है,
मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने यह पर्व भगवान शंकर को पति रुप में पाने के लिए किया था,
वहीं कृषक अच्छी फसल हेतू भगवान को कजलियां समर्पित करते हैं,
इसी प्रकार यह पर्व बुन्देलखण्ड के बीर शिरोमणि आल्हा ऊदल के शौर्य के रुप में मनाया जाता है,
इसी दिन दिल्ली के राजा पृथ्वीराज को आल्हा ऊदल ने पराजित किया था, इस मौके पर समस्त ग्रामवासी मौजूद रहे