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श्रेष्ठ कर्म ही जीवन को बनाते उन्नत: धनवंतरीदास श्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर में श्रीमद भागवत कथा का हुआ मंगल प्रारंभ

ललितपुर। सिद्धपीठ श्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर के नवनिर्मित बालकृष्ण सत्संग भवन में साप्ताहिक श्री मद्भागवत कथा का मंगल प्रारंभ हो गया। व्यासपीठ पर विराजमान धनवंतरी दास महाराज ने कहा कि जीवन का सर्वोत्तम लाभ सत्संग है। निरंतर सत्संग से हमारी सोच सकारात्मक हो जाती है। सकारात्मक विचार ही सकारात्मक कर्म को जन्म देते हैं। श्रेष्ठ कर्म ही जीवन को उन्नत बनाते हैं। भगवान की भक्ति मानव को मानवता प्रदान करती है। प्रभु की कृपा तभी जीवन में आती है, जब कथा को एकाग्र होकर श्रवण किया जाए। श्रवण से ही समाधान आता है। कथा श्रवण सदैव ही प्रभु कृपा से प्राप्त होती है। हमारे ह्दय में बार-बार कथा आती रहे तो प्रभु प्रेम का बीजारोपण ह्दय में हो जाता है। यही मानव जन्म का श्रेष्ठ लाभ है।

कथा एवं संकीर्तन नित्य जीवन में रहना चाहिए
धनवंतरी दास महाराज ने कहा कि जीवन में कथा श्रवण निरंतर आवश्यक है। अपने पुरूषार्थ से उपलब्धियां तो पाई जा सकती हैं लेकिन प्रभु कथा श्रवण के बगैर नहीं पाई जा सकती। संसार के प्रपंचों में जीवन का अमूल्य समय न गंवाएं। व्यर्थ गया हुआ समय पुन: प्राप्त नहीं होता। कथा में निरंतरता आवश्यक है।

सत्संग की नहीं होती कोई सीमा
सत्संग की कोई सीमा नहीं है। कथा एवं संकीर्तन नित्य जीवन में रहना चाहिए। कथा का लाभ तभी है, जब कथा अपने ह्दय में बस जाए। ह्दय में बैठी कथा ही कल्याण करती है। श्रीमद भागवत महापुराण शब्द ब्रह्म है। साक्षात ब्रह्म और शब्द ब्रह्म ये दो ही वस्तुत:सत्य है। इससे पहले कथा के प्रारंभ पर श्री लक्ष्मी नृसिंह महाराज के सम्मुख पोथी पूजन किया गया। इसके उपरांत मनोरथी सुमन संजय डयोडिया ने श्रद्धालुओं के साथ कीर्तन करते हुए पोथी को व्यासपीठ पर आसीन कराया। तत्पश्चात वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पोथी पूजन एवं व्यास पूजन कराया।

ये रहे मौजूद
इस अवसर पर महंत गंगादास महाराज, महंत रामलखन दास महाराज, महंत राधेश्याम दास महाराज, अन्य संत, संजय डयोडिया, रामेश्वर सड़ैया, विलास पटैरिया, धर्मेंद्र रावत, भगवत नारायण वाजपेई, ह्देश हुंडैत, निखिल तिवारी, राजेंद्र वाजपेई, नरेश शेखावत, विवेक सड़ैया, अजय तोमर आदि ने श्रीमद्भागवत की मंगल आरती उतारी। व्यवस्थाओं में श्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर सेवा परिवार के कार्यकर्ता व राहुल चौबे, रोहित रावत, सचिन शर्मा, कुलदीप लिटौरिया, कृष्णकांत सोनी, पंकज रैकवार, संजू श्रोती जुटे हैं।

प्रभु चरित्र से परिचित कराती श्रीमद् भागवत कथा
महंत राधेश्याम दास महाराज ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा या अन्य ग्रंथों की कथाएं हमें प्रभु के चरित्रों से परिचित कराती है। प्रभु को जानने-समझने में उनकी कथाएं हमें दिशा प्रदान करती हैं।

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