आजादी के पहले भगवान के विग्रह ने पहने थे खादी के वस्त्र

स्वदेशी आंदोलन को जन-जन पहुंचाने में मददगार बना था जल विहार
महात्मा गांधी के आह्वान पर जगह-जगह जलाई गई थी विदेशी कपड़ों की होली
ललितपुर। डोल ग्यारस पर आयोजित होने वाले जल विहार का धार्मिक के साथ ऐतिहासिक महत्व भी है। जिस समय देशवासी अंग्रेजों के अत्याचार से पीडि़त थे, उस दौरान महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन चलाकर अंग्रेजों की चूलें हिला दी थी। इस आंदोलन को जन-जन पहुंचाने में धार्मिक कार्यक्रम जल विहार का सहारा लिया गया। इस आयोजन में शामिल होने वाले शहर के श्रद्धालुओं ने विदेशी कपड़ों को त्याग कर खादी के वस्त्र पहने थे। इससे स्वदेशी का आंदोलन पूरे जिले में फैल गया था।
देश को अंग्रेजों के चंगुल से छुटकारा दिलाने के लिए अनेक जतन किए गए। इस दौरान अनेक स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारियों ने देश के खातिर अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। यही नहीं, लोगों को आजादी के आंदोलन से जोडऩे के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए। इनमें स्वदेशी आंदोलन, विदेशी कपड़ों की होली जलाना आदि शामिल रहे। वर्ष 1921 में महात्मा गांधी के आह्वान पर विदेशी कपड़ों की होली जलाकर स्वदेशी का नारा बुलंद किया था। वर्ष 1929 तक स्वदेशी आंदोलन जोरदार तरीके से चलता रहा। जनपद में भी स्वदेशी का आंदोलन जोरशोर से चला। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में धार्मिक कार्यक्रम जल विहार की मदद ली गई। उस दौर के पंडित, पुरोहित एवं भक्तों ने विदेशी कपड़ों का त्याग कर खादी वस्त्र में नजर आए थे। इस दौरान पंडित, पुरोहितों ने भगवान के विग्रहों को खादी की पोशाक पहनाई थी। जब भगवान के विग्रह खादी की पोशाक पहनकर शहर भ्रमण पर निकले तो लोगों के मन मस्तिष्क में यह बात बैठ गई। इसके बाद स्वदेशी आंदोलन पूरे जिले में फैल गया। जगह-जगह लोगों ने विदेशी कपड़ों का त्याग कर उनकी होली जलाना शुरू कर दी। इससे अंग्रेज काफी परेशान हो गए। उधर, श्री रामलीला हनुमान जयंती महोत्सव समिति के अध्यक्ष ब्रजेश चतुर्वेदी ने बताया कि देश की आजादी के पहले से शहर में जल विहार महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इस धार्मिक कार्यक्रम में भगवान के विग्रह को खादी की पोशाक पहनाई गई थी, साथ ही विमान का ऊपरी हिस्सा जिसे चंदोबा कहते हैं, उसे भी खादी के कपड़ों से सजाया गया था। इसके अलावा विमान में खादी के कपड़े बिछाकर भगवान के विग्रहों को विराजित किया गया था। यह सिलसिला तब तक चला, जब देश को आजादी नहीं मिल गई। वर्तमान में भी रघुनाथ जी बड़ा मंदिर के विमानों की सफेद वस्त्र से सजावट की जाती है। अन्य कई मंदिरों के विमान भी सफेद वस्त्र से सजाए जाते हैं। हालांकि, भगवान के विग्रहों की पोशाक रंगीन हो गई हैं।
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जल बिहार के संबंध में बैठक आज
श्री रामलीला हनुमान जयंती महोत्सव समिति की बैठक 1 सितंबर को आयोजित की जाएगी। अध्यक्ष पं बृजेश चतुर्वेदी व प्रबंधक हरविंदर सिंह सलूजा ने संयुक्त रूप से बताया कि 1 सितंबर दिन रविवार दोपहर 1.30 बजे जल बिहार के संबंध में सभी मंदिरों एवं नगर के गणमान्य नागरिकों से विचार, सुझाव सादर आमंत्रित किए गए हैं।