उत्तर प्रदेशधर्म/अध्यात्म

नाग पंचमी विशेष : सांस्कृतिक दूत सपेरे

भारत विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का देश है। प्राचीन संस्कृति के इन्हीं रंगों को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में बिखेरने में सपेरा जाति की अहम भूमिका रही है, लेकिन सांस्कृतिक दूत ये सपेरे सरकार, प्रशासन और समाज के उपेक्षित रवैये की वजह से दो जून की रोटी तक को मोहताज हैं। देश के सभी हिस्सों में सपेरा जाति के लोग रहते हैं। सपेरों के नाम से पहचाने जाने वाले इस वर्ग में अनेक जातियां शामिल हैं। सपेरों ने लोक संस्कृति को न केवल पूरे देश में फैलाया, बल्कि विदेशों में भी इनकी मधुर धुनों के आगे लोगों को नाचने के लिए मजबूर कर दिया। सपेरों द्वारा बजाई जाने वाली मधुर तान किसी को भी अपने मोहपाश में बांधने की क्षमता रखती है।

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